है मुझे डर असफल होने का ,
है मुझे डर सब कुछ खोने का ,
है मुझे डर मेरा कुछ न होने का
खोया है काफी वक़्त मैंने,
खोया है काफी धन मैंने l
खोयी है अपनी सेहत भी मैंने,
अब हिंम्मत ढूंढूं मई किस कोने?
डर लगता है अब मुझे मज़िल से ,
डर लगता है अब मुझे नए सफर से l
डर लगता है मुझे लोगों की बातों से ,
डर लगता है मुझे लोगों के तानों से ल
थक चुकीं हूँ मैं झूठा साहस दिखाके,
थक चुकीं हूँ मैं अब हारके l
थक चुकीं हूँ मैं लागत लगा के,
थक चुकीं हूँ मैं साहस जुटा के l
सच कहूं तो मैं डर चुकीं हूँ,
सच कहूं तो मैं थक चुकीं हूँ l
बता दो लाऊं कहा से हिंम्मत मैं ,
बता दो लाऊं कहा से साहस मैं l